Tuesday, March 15, 2011

होली की एक संगीतमय संध्या

होली की तैयारियां जोरो पर है...सभी इसके स्वागत की तैयारियों में लगे हैं...और जब होली का स्वागत गीतों से हो....और उसमें भी वैसे गीतों से जिसकी बोल और मिठास बृज की होली की याद दिलाने लगे तो कहना ही क्या.....ऐसी ही गीतों भरी शाम थी 14 मार्च की....अर्जून नगर के एक पुस्तकालय के प्रांगण में संगीत संध्या का आयोजन हुआ था...मकसद था दिलों में प्यार जगाना....होली मिलन की इस संगीत संध्या में बच्चे बुढ़े और महिलायें सभी शामिल थे....महफिल ऐसी जमी की सभी ने हिलने का नाम लिया...गायक कलाकार थे उज्जवल नागर....जिनकी मधूर आवाज ने लोगों को वाह वाह करने पर मजबूर कर दिया...आवाज में इतनी मिठास और सादगी थी कि मुख्य अतिथि के तौर पर आईं किरण वालिया ने भी once more की फरामाइश कर दी...फिर तो हर बोल के साथ तालियों की आवाज ऐसे गुंजन लगी मानो तबले के साथ घुंघरू की आवाज....प्रो. किरण वालिया ने भी उज्जवल नागर की भूरी भूरी प्रशंसा की...उन्होंने कहा कि जहां आज पॉप गानों से मन उब जाता है दिल घबराने....ऐसे में शास्त्रीय संगीत मानों ह्रदय में उतरता हो...सुकून इतना कि जी ना भरे...खुशी इतनी कि मुस्कुराहट थमने का नाम ना ले...और मस्ती इतनी कि लोग वहां से उठने का नाम ना ले.....