Friday, October 28, 2011

मेरा पहला करवा चौथ

कुछ हिन्दी फिल्मों का असर था तो कुछ बीबी से प्यार....इस साल मैंने भी करवा चौथ का व्रत रखने का फैसला किया...संयोग से दिन भी शनिवार का था..जिस दिन ऑफिस में मेरा विकली ऑफ होता है...लेकिन दीपावली के पहले यही एक दिन था जब मैं घर की सफाई भी कर सकता था...सो मैंने पूरे घर की सफाई की...और जो भी रद्दी निकला उसे लगे हाथ बेच भी दिया...रद्दी बेचने से 180 रुपये की आमदनी भी हो गई....उसके बाद जब शरीर पूरी तरह थक चुका था तो आराम मैंने आराम करने की सोची....टीवी ऑन किया और फिल्म देखने लगा...फिल्म थी अंखियों को झरोखे से....बेहद रोमांटिक...मैं फिल्म देखने में मशगुल...वक्त का पता भी नहीं चला...शाम हो गई....नहाने के बाद बाहर जाने का फैलसा किया...लेकिन दीदी (मकान मालकिन) ताला लगाकर अपने घर जा चुकी थी...मैंने थोड़ी देर इंतजार किया...सोचा थोड़ी देर में आ जाएंगी...काफी देर हो गये...ताला नहीं खुला...मैंने संतोष को फोन किया...लेकिन वो आज ऑफिस में देर तक रुक गया था...फिर विनोद को फोन लगाया...लेकिन उसका फोन नहीं मिल पाया....थक हार कर बीबी से बात करने का फैसला किया...मुझे नहीं पता था कि करवा चौथ करने से क्या है...पर आज अपनी बेगम के लिए बहुत प्यार उमर रहा था...मन बहुत खुश था...नीता से बात करने के बाद मैंने बाहर के एक शख्स को चाभी दी...शाम को संतोष भी रुम पर आया...मैं जब खाना बना रहा था उसी दौरान संतोष ने बताया चांद तो निकल चुका है...मैं चांद को देखने छत पर गया...और आसमान के चांद को देखने के बाद अपनी चांद को मोबाइल फोन में देखा और फिर बात की...आज का दिन बहुत अच्छा रहा...आज मैंने जो फिल किया वो लाजवाब था...ऐसा मैं बार बार फिल करना चाहता हूं..