Saturday, February 11, 2012

बिग बी का जादू....

बहुत पुरानी बात है…तब मैं अमिताभ बच्चन का नाम भी नहीं जानता था...कभी अमताब तो कभी अजिताब बच्चन कहता था...लेकिन तब भी इस शख्सियत का जादू सिर चढ़कर बोलता था...तब फिल्म देखने के इतने सारे साधन भी नहीं थे...ले दे के एक राष्ट्रीय चैनल दूरदर्शन था...जिसपर फ्राइडे को ही फिल्में आती थी...जो देर रात तक चलती थी...तब मैं स्कूल के हॉस्टल में था...जहां सख्त अनुशासन में रहना मजबूरी थी...वहां हर घंटे का हिसाब देना होता था...रात में जब हमारे टीचर घर चले जाते थे...तब भी मन में अनुशासन का डर बना रहता था..शनिवार से गुरूवार तो आराम से निकल जाता था...और नींद भी जल्दी आ जाती थी...लेकिन फ्राइ-डे आते ही मन बेचैन हो जाता था..
फिल्में किसी और हीरो की होती तो सो भी जाता था..लेकिन अमित जी की फिल्मों को छोड़ना रात को बर्बाद करने जैसा होता था..क्योंकि जैसे ही फिल्म का कोई डायलॉग सुनाई देता...मन एक बार फिर से नियम तोड़ने के लिए उकसाने लगता..उसके बाद जो जद्दोजहत होती उसमें जीत अमित जी की होती थी...अब इसे अमित जी बेजोड़ डायलॉग डिलीवरी कहे या अभिनय की अमिट छाप...लेकिन कुछ तो था जो मुझे मजबूर करता था...