Friday, October 11, 2013

राजनीति में कुछ भी स्तिर नहीं होता


राजनीति में कुछ भी स्तिर नहीं होता....ना ही राजनेताओं की कोई बात
बेमायने...इसका ताजा उदाहरण दिल्ली में जेडीयू के राष्ट्रीय परिषद की
बैठक में देखने को मिला...बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पार्टी
फोरम से जो बातें कही उसे किसी भी मायने से वोट बैंक की राजनीति से अलग
नहीं माना जा सकता है...यही वोट बैंक की मजबूरी है जिसके चलते नीतीश
कुमार ने बेवजह मोदी को सांप्रदायिक और खुद को धर्मनिरपेक्ष साबित करने
की कोशिश की...हालांकि नीतीश कुमार ने मंच से एक बार भी मोदी की नाम नहीं
लिया...लेकिन नाम लिए बगैर उन्होंने मोदी के लिए बहुत कुछ कहा...नीतीश ने
साफ शब्दों में कहा कि देश में सत्ता की कुर्सी पर वही बैठेगा...जो सभी
धर्म, संप्रदाय को साथ लेकर चलेगा...नीतीश के लिए ये बातें कहना इसलिए भी
जरूरी था...क्योंकि बीजेपी के कुछ नेता दबी जुबान से बिहार के
मुख्यमंत्री को पीएम के तौर पर प्रोजेक्ट करने लगे थे...जबकि पार्टी से
कई बार साफ शब्दों में कह दिया था कि 2014 चुनाव के लिए प्रधानमंत्री पर
फैसला बीजेपी संसदीय दल की बैठक में लिया जाएगा...लेकिन पार्टी में
चाटुकारिया संस्कृति को भी तो जिंदा रखना था...सो बीजेपी के कुछ नेता नमो
नमो करते दिखते थे...नीतीश कुमार ने इसी माहौल को तोड़ने की कोशिश
की...फिर क्या था जेडीयू के तीर बीजेपी को चुभने लगा...
साफ है कि बिहार में जेडीयू-बीजेपी गठबंधन ने आरजेडी के एमवाय समीकरण को
तोड़ा...और सत्ता पर काबिज हुए...निश्तिच तौर से उसके बाद विकास
हुआ...विकास को आधार बनाकर राज्य की जनता ने उन्हें दोबारा मौका दिया...