“दुअरा" पर आयेल बरात तअ समधी के लागल हगास”…......वाली बात राष्ट्रमंडल खेल के लिए बिल्कुल फिट बैठती है.....इसका आयोजन 3 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक होने वाला है
यानी लगभग 50 दिन और बच रहे हैं....शहर के हालात देख कर ऐसा लगता है....जैसा सारा काम एक दिन में पूरा कर लिया जाएगा...यानी समय कम है और काम ज्यादा...
काम ज्यादा होने से और इसे समय पर पूरा करने के दबाव में पुख्ते काम की गारंटी
नहीं दी जा सकती....ऐसे में एक और कहावत याद आ रहा है....”हड़बड़ी के बिआह कनपटी में सेनूर”....मुख्यमंत्री का अल्टीमेटम मिल चुका है कि एक सितम्बर से पहले काम खत्म कर देना है...ऐसे में निर्माण कार्य में लगे कंपनियों ने रफ्तार तेज कर दी है
हो भी क्यों ना सवाल देश की इज्जत का जो है
इसकी वजह से जो काम 100 रूपये में होने वाला था...उसे 200 रूपये देकर पुरा किया
जाएगा...ये पैसा आएगा आपकी औऱ हमारी जेब से.....क्योंकि “हम आम आदमी के जेब में ही तो देश का सारा पैसा पड़ा है”...सरकार जब चाहती है निकाल लेती है...अलग-अलग तरीक से.....
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