बिहार में नीतीश कुमार
जब मुख्यमंत्री थे तो राज्यभर में उनके फोटो वाला विज्ञापन दिखा, जिसमें सरकार के कामकाज
और योजनाओं का लेखा-जोखा था... फिर जब जीतन राम मांझी को सीएम बनाया गया...तो
रातोंरात JRM की फोटो वाली विज्ञापन दिखने लगा...अब खबर है कि नीतीश कुमार
फिर से सीएम बनाने की तैयारी है...जाहिर है फिर से नीतीश कुमार की फोटोयुक्त
विज्ञापन राज्य की सड़कों पर दिखने लगेंगे...सवाल है कि जब एक ही पार्टी में
अलग-अलग लोगों को सीएम बनने का मौका मिलता है तो क्या विज्ञापन का खर्च बचाने के
लिए कोई दूसरा रास्ता
नहीं निकाला जा सकता ? मसलन पार्टी का चुनाव चिन्ह इस्तेमाल
किया जा सकता है....या फिर कोई ऐसा लोगो जो ये संकेत करे की किस पार्टी की सरकार
है...अगर ऐसा होता है तो बार-बार सरकारी विज्ञापन बदलने की नौबत नहीं आएगी...और
किसी एक ही विज्ञापन का समय-समय पर प्रचार किया जा सकेगा...फिर सीएम नीतीश रहें या
मांझी...मोदी रहे या आनंदी बेन...
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हां आपकी सोच सही है...इसे लागू किया जाना चाहिए...ये सरकार और जनता दोनों के लिए किफायती है
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