रंग सांवला, चेहरे पर छोटे-छोटे गड्ढे, दिल्ली में 10 हजार की
नौकरी करने वाले सरोज के लिए लड़की देखने का कार्यक्रम तय हुआ...सरोज के माता-पिता
के साथ करीब 10 लोग सोनपुर के हरिहर नाथ मंदिर पहुंचे...लड़की वाले वहां पहले से
स्वागत-सत्कार के लिए तैयार थे...नास्ता पानी के बाद लड़की को देखने के लिए बुलाया
गया...ऑरेंज कलर की साड़ी में लड़की रूपवान लग रही थी...सभी की नजरें लड़की पर टिक
गई...लड़की असहज हो रही थी...माहौल गंभीर हो रहा था...उधर लड़के वालों में
खुसर-फुसर होने लगी...तभी एक सज्जन ने लड़की का सामान्य ज्ञान चेक करने का प्रयास
किया...पूछा- बिहार के मुख्यमंत्री का क्या नाम है ?...लड़की ने लालू प्रसाद
यादव का नाम बता दिया...लड़की वालों ने बीच में एंट्री मारते हुए कहा- लड़की डर गई
है...तभी सज्जन ने दूसरा सवाल दाग दिया और कहा कि बेटा डरने की जरूरत नहीं...पूछा-
सीता बाजार जाती है...इसका अंग्रेजी अनुवाद क्या होगा ?...लड़की
ने कहा- Sita
go to market…लड़की
के पिता का दिल बैठ गया...उसके बाद दूसरे लोगों ने भी कुछ सवाल किया जो घरेलू
कामकाज और परिवार के लिए संबंधित थे...जिसका लड़की ने बड़े ही सहज ढंग से जवाब
दिया...जवाब से सभी प्रभावित भी हुए...लेकिन लड़की की पटकथा लिखी जा चुकी
थी...सारी औपचारिकता पूरी होने के बाद लड़को वालों ने कहा कि ‘फोन पर
जवाब दिया जाएगा’...
रेलवे में ग्रुप – D की नौकरी करने वाले धीरज
के लिए लड़की देखने के लिए बसंत पंचमी का दिन तय हुआ...इसके पहले ही दान-दहेज की
औपचारिकता पूरी हो गई थी...लड़की देखने के लिए धीरज के परिवार वाले पटना के
अगमकुआं मंदिर पहुंचे...मैरून कलर की साड़ी में लड़की बनठन कर आई...गोरा रंग, चेहरे पर थोड़ी
मुस्कुराहट, आंखों
में विश्वास, नजर
सामने के तरफ थोड़ी सी झुकी हुई...सभी की आंखें लड़की को निहारने लगी...यहां भी
खुसर-फुसर होने लगी...दबी आवाज में एक महिला ने कहा हाईट कम है...लड़कों वालों ने
कहा हमलोग आपस में कुछ बातचीत करना चाहते हैं...बातचीत के लिए एक कमरा उपलब्ध
कराया गया...बातचीत के बाद लड़की को सूट में देखने की फरमाइश हुई....वर पक्ष की ये
फरमाइश भी पूरी की गई...लेकिन हाईट को लेकर मन में संदेह बना रहा...बात नहीं
बनी...जाते हुए उनलोगों ने भी कहा- ‘फोन पर
जवाब दिया जाएगा’...
रंग सांवला, बाल सफेद होने के कगार पर, नाक पर कटे का निशान, उमर तीस करीब, बैंक में क्लर्क की
नौकरी...ये परिचय है पिंटू उर्फ अभिषेक का जिसके लिए लड़की देखने का कार्यक्रम तय
हुआ...परिवार के करीब 10 लोग पटना पहुंचे...अभिषेक भी उनके साथ गया...लड़की देखने
का कार्यक्रम एक रिश्तेदार के यहां रखा गया था...जो रिश्ते में लड़की का मामा
था...मामा किशोरीलाल ने वर पक्ष के स्वागत का उत्तम प्रबंध किया था...चाय नास्ते
के बाद लड़की को बुलाया गया...रंग गोरा, होठों पे मुस्कान,
आत्मविश्वास से लबरेज, अनारकली सूट में सुधा आकर्षक लग रही थी...पहली नजर में ही सुधा सब
को भा गई...सभी ने बारी-बारी सुधा के साथ फोटो खिंचवाया...खुशी-खुशी सब की विदाई
की गई...लेकिन जाते-जाते कह दिया ‘फोन पर
जवाब दिया जाएगा’... लेकिन
दो दिन बाद जब लड़की के पिता अभिषेक के घर पहुंचे तो दान-दहेज को लेकर बात नहीं
बनी...लड़के का पिता किसी भी हाल में 10 लाख से कम लेने को तैयार नहीं था...ऊपर से
एक अपाची बाईक...बात नहीं बनी...
इसमें कोई दो राय नहीं है
कि आजकल लड़की
की शादी करना कांटों पर चलने जैसा हो गया है...हर मां-बाप का चाहता है कि उसकी
लड़की को उत्तम वर, अच्छा
खानदान मिले...इसके लिए वह बड़े से बड़ा त्याग करने के लिए तैयार रहता है...उसके
बाद भी किसी एक प्वाइंट पर आकर बात बिगड़ जाती है...और लड़की को बार-बार लड़कों
वाले के सामने एक प्रोडक्ट की तरह पेश होना पड़ता है...जहां हर पल ये डर बना रहता
है कि माल बिकेगा या नहीं...हैरानी की बात है कि लड़का काला-कलूट हो, अंगुठा छाप हो, दिनभर आवारागर्दी करता हो, लेकिन लड़की उसे भी सुशील, रूपवान और गुणवान
चाहिए...और अगर लड़के ने थोड़ी पढ़ाई और जुगाड़ से कोई सरकारी नौकरी ले ली...फिर
तो लड़के का बाप नाक पर मक्खी तक नहीं बैठने देगा...ये सूरत कमोबेश समाज के हर
वर्ग की है...इसलिए ये मंथन करने का वक्त है कि इस पर लगाम कैसे लगाया जाए ? कैसे
इस परिपाटी का एक बेहतर विकल्प निकाला जाए ? ताकि
आगे आने वाले दिनों में लड़कियों को बार-बार शर्मिंदा नहीं होना पड़े...
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