Thursday, December 29, 2011

बाद में क्यों पहले क्यों नहीं ?

टीम इंडिया का इस तरह लड़खड़ाना कोई नई बात नहीं हैऔर जब दौरा विदेश का हो तो ये और भी आम बात लगती है...लेकिन जब कोई अपनी पिछली गलतियों से भी सीख नहीं ले तो ये बात जरूर खटकती है....आखिर हम कबतक तेज उछाल वाली पिच की बात करके मन मसोसते रहेंगे...क्यों हमारे खिलाड़ियों के लिए वैसी पिचे तैयार नहीं की जाती..क्यों बोर्ड ऐसी पिचों पर बल्लेबाजी के लिए खास प्रैक्टिस की व्यवस्था नहीं कराती...ये एक अलग मुद्दा है जो मेलबर्न जैसी ऐसी हर हार के बाद उठती है...लेकिन हमें तो हैरानी इस बात की होती है कि हमारी बल्लेबाजी क्रम को दुनिया की सबसे धांसू बल्लेबाजी मानी जाती है...फिर ये बल्लेबाजी ताश के पत्ते की तरह क्यों धाराशाई हो जाती है...

जब ये सीरीज शुरू हुआ था तो हम ऑस्ट्रेलियाई टीम को कमजोर मान के चल रहे थे...खुद ऑस्ट्रेलिया के ही पूर्व खिलाड़ियों ने भी माना कि भारत के पास इस सीरीज को जीतने का बहुत अच्छा मौका है...लेकिन पहले टेस्ट में नतीजा कुछ औऱ निकला..हम मेलबर्न टेस्ट हार गए वो भी बुरी तरह..हमारे जिन गेंदबाजों की कहीं चर्चा नहीं होती उन्होंने कमाल कर दिया...हमारे गेंदबाजों ने एक अच्छा प्लेटफॉर्म तैयार करके दिया... जहां से हम जीत सकते थे...लेकिन ऐसा नहीं हुआ...क्योंकि हमारी टीम तो हमेशा से वापसी करने में विश्वास रखती है...एक बड़ी हार के बाद टीम का कैप्टन कहता है कि खेल अभी खत्म नहीं हुआ है..हम वापसी करने का माद्दा रखते हैं....ऐसा नहीं है कि हम वापसी नहीं कर सकते..या हमने वापसी नहीं की है...लेकिन सवाल है कि हम पहले से ही शिकंजा क्यों नहीं टाईट करके रखें..जिससे विरोधी टीम में खलबली मच जाए....

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