Thursday, February 26, 2015

मैं सुधरना चाहता हूं...


आप सब के दिलों में मेरा खौफ है...मेरा ख्याल आते ही आपकी रूहें कांप जाती है...मैं हमेशा आपके बीच चर्चा का विषय बनता हूं...मेरा नाम लेकर आप तंज कसते हैं, चुटकियां लेते हैं...जब भी आपसे मुलाकात होती है, मेरे बारे में बिना कुछ कहे आपसे रहा नहीं जाता है...आपके बीच मेरी छवि इतनी खराब है कि जब कभी अच्छा भी करता हूं तो सराहना नहीं मिलती...
मैंने कई मौकों पर आपको इरिटेट किया है...आपके हर शुभ काम में मैंने बाधा डालने का काम किया है...जब आप अपनी जीवन संगिनी को लाने जाते हैं तो मैं परेशान करता हूं...जब आप अपनी प्रेयसी से मिलने के लिए उतावले होते हैं तो मैं आपको इंतजार करवाता हूं...जब आप किसी मीटिंग के लिए देर हो रहे होते हैं तो मैं और आपका मूड खराब करता हूं...सिर्फ मैं ही नहीं मेरे सगे-संबंधी जैसे शीतलपुर ढाला, गोविन्दचक ढाला भी आपको परेशान करते हैं लेकिन वो आपको फील नहीं होता...दरअसल मैं इतना कुख्यात हो गया हूं कि मेरी अच्छाई किसी को दिखती ही नहीं है...मेरी अच्छाई के बारे में कभी जानना हो तो उस आदमी से पूछना जिसे जोर की लगी हो और वह कई घंटों से गाड़ी रूकने का इंतजार कर रहा हो...लोगों के बीच सिर्फ मेरा ही रिपुटेशन ऐसा है जो आपको तसल्ली से मूतने का मौका देता है...जी हां सही समझा आपने मैं दिघवारा ढाला हूं...
मेरी कुछ और भी अच्छाईयां हैं...मेरी वजह से कुछ लोगों को दो जून की रोटी नसीब होती है...किसी का दैनिक रोजगार चल पड़ता है...जब आप तपती गर्मी से व्याकुल होते हैं तो मैं आपकी प्यास मिटाता हूं...जैसे ही आपकी गाड़ी मेरी दहलीज पर रूकती है, पानी-पानी की आवाज लगाता मेरा आदमी आपके पास होता है...आपकी शान में सिर्फ पानी ही नहीं स्प्राईट, मिरिंडा और पेप्सी भी पेश किया जाता है...अगर आपको हल्की भूख लगी तो उसका इंतजाम भी मेरे पास होता है...नारियल, मुंगफली, कुरकुरे, चिप्स के अलावे खीरा, ककरी, लीची, अमरूद जैसे मौसमी फल भी आपकी खिदमत में हाजिर रहते हैं...
अब फिर से अपने रिपुटेशन की बात करते हैं...कुछ लोगों को मेरी आदत पड़ चुकी है...वे घर से ही मेरे लिए अतिरिक्त समय निकाल कर चलते हैं...फिर भी ऐसे लोगों की संख्या गिनती मात्र है...सर्दी के दिनों में तो लोग मेरा टॉर्चर सह भी लेते हैं...लेकिन गर्मी में उनका हाल बेहाल होने लगता है...अगर सफर के दौरान साथ में छोटे-छोटे बच्चे हो तो फिर महिलाओं की मानो शामत आ जाती है...बच्चे गर्मी की वजह से बहुत ज्यादा रोते हैं...उनके बार-बार रोने से साथ वाले यात्री भी इरिटेट होने लगते हैं...मुझे ये सब अच्छा नही लगता...मैं अपनी छवि बदलना चाहता हूं...जी हां मैं सुधरना चाहता हूं...

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