गणतंत्र दिवस समारोह की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटील ने राष्ट्र के नाम संदेश में कहा कि देश में एक और हरित क्रांति की जरूरत है। देश में महंगाई की स्थिति को देखते हुए इस पर विचार करने की जरूरत है। लेकिन राष्ट्रपति की बात को अगले दिन ही कृषि मंत्रालय ने झूठा साबित कर दिया। गणतंत्र दिवस के अवसर पर कृषि मंत्रालय ने जो झांकी प्रस्तुत की उसमें अनाज की जगह सिर्फ फूल ही दिखाई दे रहे थे।
देश में खाद्यान्न संकट के कारण महंगाई की स्थिति बेकाबू हो रही है। सिर्फ अनाज ही नहीं दाल, सब्जी, चीनी सभी की कीमतें आसमान छू रही हैं। ऐसे में कृषि मंत्रालय अनाज की जगह फूल के उत्पादन पर जोर दे रहा है। जिस देश में आधी आबादी गांव में रहती है जहां खेती प्रमुख व्यवसाय है, जहां 37 फीसदी लोग गरीब हैं, भूख से जहां लोगों की जान जाती है। उस देश में सिर्फ फूलों की खेती कुछ हजम नहीं होती। हमारे देश में गेंहू, चावल और चीनी की अच्छी पैदावार होती है। इसे झांकी में दिखाये जाने की जरूरत थी। जिससे इसे बेहतर बनाने की कोशिश हो सके । राष्ट्रपति के बयान और कृषि मंत्रालय के झांकी में विरोधाभास है। ऐसे में हरित क्रांति कैसे सफल होगी इस पर देश को सोचने की जरूरत है।
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baat bilkul jayaz si lagti hai dost .
ReplyDeletefhoolo ki kheti ki jhanki dikhana krishi mantralya ki majboori hi rahi hogi kyonki baaki kuch dikhapana to possible hi nahi rah gya tha .
isliye unki is taraha ki majboori par bhi hansi si aati hai aakash
kuldeep