नक्सलियों पर आज पूरे देश की नजर है......कारण कि पिछले एक महिने में इन्होंने दो बड़े हमलों को अंजाम दिया है......ऐसा इनलोगों ने नक्सल विरोधी आपरेशन ग्रीनहंट के खिलाफ किया था......इसे बदले की कार्रवाई भी कह सकते हैं......इस दो बड़े हमलों में देश के लगभग 100 जवान मारे गये......पुलिस के जवानों ने ज्यादातर लोगों की सहानुभूति पा ली......यानी यहां नक्सल अभियान कमजोर पड़ा.....पिछले कई दिनों से ऐसी खबरें भी आ रही है कि नक्सली बैकफुट पर आ गये हैं......और ऐसा हुआ है इसको गलत दिशा देने से और कुछ माओवादी विचार के नेताओं के जिद के कारण.......क्योंकि ऐसी भी खबरें है कि नक्सलियों का जनाधार कमजोर हुआ है.....यानी आदिवासी और किसानों का समर्थन नहीं मिला है....लेकिन सरकार औऱ नक्सलियों के बीच छिड़ी लड़ाई में नुकसान आदिवासियों और किसानों का ही हुआ है........
ताजा स्थिति ये है कि नक्सलियों ने दंत्तेवाड़ा और बीजापुर में हमला कर सरकार को हिला दिया है.....अब सरकार नक्सलियों के खिलाफ एयरफोर्स को लगाना चाहती है.....अगर ऐसा हुआ तो नक्सलियों का नामोनिशान मिट जाएगा......सरकार की इस कार्रवाई से उन्हें अबुझमाड़ का जंगल भी नहीं बचा पाएगा .....लेकिन इसकी पूरी सम्भावना है कि काफी संख्या में निर्दोष लोग मारे जाएंगे ......दूसरी बात है कि जिस जंगल को आदिवासी अपना घर और मंदिर समझते हैं उसका पूरी तरह सफाया हो जाएगा......इस आरपार की लड़ाई में असल मुद्दा फिर दब जाएगा .....सरकार के प्रति कुछ लोगों में फिर निराशा बढ़ेगी और वे हथियार उठायेंगे.......ये जरूर है कि थोड़े समय के लिए माहौल शांत तो हो जाएगा लेकिन लोगों के भीतर एक आग सुलगती रहेगी........ . ये सुलगती आग फिर से ज्वालामुखी ना बने इस पक्ष पर भी विचार करने की जरूरत है......
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Akash Kumar
ताजा स्थिति ये है कि नक्सलियों ने दंत्तेवाड़ा और बीजापुर में हमला कर सरकार को हिला दिया है.....अब सरकार नक्सलियों के खिलाफ एयरफोर्स को लगाना चाहती है.....अगर ऐसा हुआ तो नक्सलियों का नामोनिशान मिट जाएगा......सरकार की इस कार्रवाई से उन्हें अबुझमाड़ का जंगल भी नहीं बचा पाएगा .....लेकिन इसकी पूरी सम्भावना है कि काफी संख्या में निर्दोष लोग मारे जाएंगे ......दूसरी बात है कि जिस जंगल को आदिवासी अपना घर और मंदिर समझते हैं उसका पूरी तरह सफाया हो जाएगा......इस आरपार की लड़ाई में असल मुद्दा फिर दब जाएगा .....सरकार के प्रति कुछ लोगों में फिर निराशा बढ़ेगी और वे हथियार उठायेंगे.......ये जरूर है कि थोड़े समय के लिए माहौल शांत तो हो जाएगा लेकिन लोगों के भीतर एक आग सुलगती रहेगी........ . ये सुलगती आग फिर से ज्वालामुखी ना बने इस पक्ष पर भी विचार करने की जरूरत है......
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