Monday, August 2, 2010

कल का अच्छा आज है बुरा !

अच्छा आदमी किसे कहते हैं ये आज तक मुझे समझ नहीं आया…लेकिन जो बेसिक परिभाषा मैं बचपन से सुनता आया हूं...उसके मुताबिक अच्छे आदमी की परिभाषा गढ़ी जा सकती है...लेकिन ऐसा भी नहीं है कि ये परिभाषा हर काल खंड में सार्थक हो...जैसे अगर हम मानते हैं कि शराब पीना बुरी बात है...लेकिन क्या ये हमारे इलीट क्लास के कल्चर का हिस्सा नहीं है ?

क्या लोग इसे पीने के बाद खुद को हाई क्लास नहीं मानते ? यानी शराब पीना अब गलत काम नहीं रहा..क्योंकि आज ये सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं है...ये छोटे शहरों कस्बों से निकल कर सूदूर गांव तक पहुंच गया है...अब तो गांव में भी जो लोग बीयर नहीं पीते उसे पिछड़ा और पुराने ख्यालात वाला समझा जाता है...
लगभग यही हाल लड़कियों के मामले में भी फिट बैठता है...जिसके पास कोई गर्लफ्रेंड नहीं है उसे असफल और बेवकूफ समझना आम बात हो गयी है॥ हैरान तो लोग उस पर भी है जो सिर्फ एक लड़की के साथ है...और उसके सिवा किसी के बारे में सोचता भी नहीं है....
ये बात यहीं खत्म नहीं होती...मां बाप की आज्ञा मानने वाला, टीचर को इज्जत देने वाला, दोस्तों की मदद करने वाला आदमी.... आज की नयी परिभाषा में अच्छा आदमी नहीं है...साफ शब्दों में कहें तो आज जो बाहरी तौर से स्मार्ट दिखे, जो जिंदगी में कपड़ों की तरह लड़कियां बदलता हो...देर रात बार में पार्टी करता हो औऱ जो रिश्तों को मजबूरी समझता हो, वही अच्छा आदमी है...

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