Wednesday, September 23, 2009

काले है तो क्या हुआ फायदेवाले हैं

इस बात से इंकार नही किया जा सकता कि जामुन भारतीय परम्परा और विरासत का अभिन्न हिस्सा है।हर परम्परा की अपनी कुछ मान्यतायें और अवधारणायें होती है।ऐसा भी नहीं है कि ये मान्यतायें पूरी तरह असत्य और निरर्थक होती है।जैसे जामुन के बारें में कहा जाता है कि त्रेता युग में जब भगवान राम वनवास का जीवन काट रहे थे तब वे जामुन बड़े चाव का फल बड़े चाव से खाते थे। घर में दादी नानी से अक्सर सुनने को मिलता है कि जामुन के पेड़ पर भूत का वास होता है।इसके पीछे तर्क है कि जामुन की डालियां बेहद कमजोर होने से टूटने की सम्भावना बढ जाती है। साथ ही जब इस पर फल लगता है उस समय तेज हवायें चलती है और भीषण गर्मी का समय होता है।उपरोक्त सभी बातों के अलावे इस बात से इंकार नही किया जा सकता कि जामुन बहुत उपयोगी,औषधीय और लाभकारी होता है।

जामुन की एक खासियत है कि इसकी लकड़ी पानी में काफी समय तक सँड़ता नही है।जामुन की इस खुबी के कारण इसका इस्तेमाल नाव बनाने में बड़ा पैमाने पर होता है।नाव का निचला सतह जो हमेशा पानी में रहता है वह जामून की लकड़ी होती है। गांव देहात में जब कुंए की खुदाई होती तो उसके तलहटी में जामून की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है जिसे जमोट कहते है। आजकल लोग जामुन का उपयोग घर बनाने में भी करने लगे है।जामुन पर फलजामुन और कठजामुन दो तरह के फल लगते है।फलजामुन कठजामुन की अपेक्षा थोड़ा बड़ा स्वादिष्ट और दुर्लभ होता है। कठजामुन कांचा के आकार का होता है।यह खट्टा जैसा लगता और लोग इसे नमक के साथ खाते है।

एक मान्यता के अनुसार जामुन का फल गर्भवती महिलाओं को खिलाने से उनके होने वाले बच्चे के होंठ सुन्दर होते है।वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जामुन का आयुर्वेद में विशेष महत्व है।यह पाचन और मुत्र संबंधी रोगों में काफी उपयोगी होता है।जामून के छाल का उपयोग श्वसन गलादर्द रक्तशुद्धि और अल्सर में किया जाता है। इसके फल से सिरका बनाया जाता है जो कमजोरी में काफी गुणकारी होता है। इसकी पत्तियां जलाने के बाद बचा राख दांतों और मसूढ़ों के लिए लाभकारी होता है।कई शोध और जांच में यह प्रमाणित हो चुका है कि जामुन डायबिटीज के इलाज में कारगर साबित होता है।जामुन के बीज से बने पाउडर को आम के बीज के पाउडर के साथ मिलाकर सेवन करने से डायरिया में काफी राहत मिलता है।

जामुन के इतने गुणकारी लाभकारी और बहुउद्देश्यीय होने के बाद भी इसकी कहीं चर्चा नहीं होती।हमेशा उपेक्षित ये पेड़ बिना शिकायत किये हर साल बच्चों के गर्मी की छुट्टियों का मजा दुगुना कर देता है। रंग भले इसका काला होता है किंतु इसका स्वाद अनुठा होता है।दिल्ली में जामुन के पेड़ अधिक नही है इसके बावजूद इसे ढुढना ज्यादा मुश्किल नही होता है। मुख्य निर्वाचन आयोग के सामने खड़ा जामुन का पेड़ हमेशा से अपनी उपेक्षा देखता आया है ।यहां इसके फलों को खाने कोई बच्चा नही आता फिर यह इंतजार में हर साल सुन्दर सुन्दर और स्वादिष्ट फल लेकर आता है।

1 comment:

  1. jaamun ke itne saare gun btaane ke liy sbse pehle to dhnywaad. lekin aapne ye kese soch liya ki ye phl upekshit hota ja rha hai. hmare yaha to jaamun aaj bhi bde chaav se khaya jaata hai. ohterwise everything is ok.

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